लक्ष्यविहीन युवा : समाज के लिए खतरा
हम अपने आस-पास देखते है शहरों के चौक ,गलियों में युवा लोगों के समूह घूमते हुए मिल जाते है । बातचीत करने पर पता चलता है कि यह अक्सर इन गलियों और दुकानों में बेवजह बैठकर ही वक्त बिताते है । आजकल ऐसे युवाओं की माँग राजनीति में बहुत होने लगीं है । वास्तव में यहीं पार्टियों के झंडाबरदार भी है । यह पढ़े लिखें भी है पर उतने नहीं की खुद से कोई अपने लिए सही निर्णय कर सके । इनमे तार्किकता और विवेक नहीं है ।पर इनमे समर्पण और प्रतिबद्धता पूरी है । राजनीतिक लोग जानते है कब ,कैसे और कहाँ इनका प्रयोग करना है । यह लोग समयानुसार धर्म और जाति की रक्षा भी करते है । इनको तमाम तरह के जातिय ,धार्मिक संगठन बनाकर उसकी जिम्मेदारी सौप दी जाती है ।पर ध्यान रहे इनका कोई राजनीतिक भविष्य नहीं होता है । यह लोग संगठन के पदाधिकारी जरूर बन जाते है ।
आखिर कौन है यह लोग ?कहा से आते है ? इन युवा लोगों की पारिवारिक पृष्ठभूमि मे पूरी समानता मिलेगी ।इनमें ज्यादातर लोग छोटे शहरों और गांवों से है । यह पहली पीढी के शिक्षित लोग है । लेकिन यह गुणवत्तायुक्त और रोजगारपरक शिक्षा नहीं ले पाये है । यह किसी भी तरह अपने जीवन मे सफल होना चाहते है । उसके लिए राजनीतिक हथियार बन जाते है । इनके अपने गांवो मे ना तो अच्छा स्कूल है, ना अस्पताल है और ना ही सड़के है । पर यह इन लोगो के लिए कोई मुद्दा ही नहींं है । हो सकता है इन मुद्दों के लिए इन्हें फंड ना मिलता हो ।लेकिन इनका रोजगार चुनाव और रैलियों तक ही सीमित है । बाकि समय यह बेरोजगार ही है ।
यदि हमारे देश मे शिक्षा कौशल और गुणवत्तापरक होती तो इतनी युवा आबादी के साथ हम दुनिया की महाशक्ति होते । शिक्षा में असमानता यदि दूर हो जाए तो देश के हर नागरिक को ज्ञान और कौशल सीखने का बराबर का मौका मिले ।यदि हम अपनी युवा आबादी का सही उपयोग कर सके तो हमें दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता है । पर याद रहे इस कार्य मे हम किसी चमत्कार की उम्मीद ना करें । देश का भविष्य कैसा होगा यह उस देश के युवा से तय हो जाता है ।
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